जो चली इश्क़ की पुरवाई
सिंदूरी शाम हौले मुस्कुराई
इस अदब से बाहों में कैद किया
खिली रजनीगंधा ,महकी शरमाई
रौशनी से अंबर जगमगा उठा
बड़े शौक से हर चाँदनी झिलमीलाई
मिलन की बेला , दो दिल जुड़े
सारी कायानात में गूंजी शहनाई …
सितम्बर 17, 2009 at 7:11 पूर्वाह्न (shayari)
Tags: shayari
जो चली इश्क़ की पुरवाई
सिंदूरी शाम हौले मुस्कुराई
इस अदब से बाहों में कैद किया
खिली रजनीगंधा ,महकी शरमाई
रौशनी से अंबर जगमगा उठा
बड़े शौक से हर चाँदनी झिलमीलाई
मिलन की बेला , दो दिल जुड़े
सारी कायानात में गूंजी शहनाई …
अगस्त 30, 2009 at 3:03 अपराह्न (shayari)
Tags: shayari, sher
तुम कहती रहो , हम निहारते रहे
साथ पल यू ही गुज़ारते रहे
शमा की जरा सी रौशनी में बैठे
घूंघराली लट गालों पे सवारते रहे
बीच में आए कुछ खामोश लम्हात्
निगाहों से जज़्बात दुलारते रहे
कही आहट हुई ,हड़बड़ा के जागे नींद से
तुम ख्वाब से ओझल , हम पुकारते रहे..
जुलाई 30, 2009 at 1:08 अपराह्न (shayari)
Tags: shayari, yaad
राह में यूही मिल गया कोई
वक़्त में कितना बदल गया कोई
नज़दीक से गुज़रे, पहचान न पाए
अनजान सा करीब से निकल गया कोई
याद ही नही के रूबरू हुए कभी
याद सा दिल में मचल गया कोई
मार्च 5, 2009 at 1:21 अपराह्न (shayari, Uncategorized)
Tags: shayari, sher
जनवरी 20, 2009 at 10:20 पूर्वाह्न (यूही शाम ढलते)
Tags: muskurana, shayari, sher, waqt, yuhi shaam dhalte
यूही शाम ढलते तेरा चुपके से आना
परदे के पीछे खड़ी होकर मासूम मुस्कुराना
चाय का लुत्फ़ लेता अख़बार में खोया मैं
हवाओ संग लफ़्ज़ों का कानो में गुनगुनाना
हक़ीक़त थी तुम कभी,आज वक़्त का साया हो
याद बहुत आए तेरा दिल पे दस्तक दे जाना
दिसम्बर 10, 2008 at 1:59 अपराह्न (हर सदी इश्क़ की)
Tags: shayari, sher
हर सदी इश्क़ की नयी कहानी होगी
राज़ खुले जो दिल के पशेमानि होगी |
मत छेड़ो दुल्हन –ए–दिल को इस कदर
हथेली खिली महेंदी शरमपानी होगी |
क़ानून की ज़रा मजबूरी तो समझिए
सज़ा मिली हर हस्ती जानीमानी होगी |
चुनाव में इस बार कोई दोगला खड़ा
वोट संभल कर दीजिए मेहेरबानी होगी |
पूछवालों की वफ़ा को न जोड़िए सत्ता से
ये उनके प्रति हमारी बद ज़ुबानी होगी |
हक़ीक़त में जमाना पहुँचा चाँद पर
कल्पना में जिए महक ,कब सयानी होगी |
दिसम्बर 1, 2008 at 5:41 पूर्वाह्न (बेसबब वो रूठना)
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यूही किसी को सताना कभी अच्छा होता है
प्यार में खुद तड़पना कभी अच्छा होता है |
रिश्तों की नज़दिकोया बनाए रखने के लिए
दूरियों का उन में आना कभी अच्छा होता है |
अन चाहा गुबार मन से बह जाने के लिए
आसुओं का निकल जाना कभी अच्छा होता है
मचलते आज़्बात दिल से कहने के लिए
खामोशियों का तराना कभी अच्छा होता है
ज़िंदगी में कदम आगे बढ़ाने के लिए
ठोकरों का नज़राना कभी अच्छा होता है
दुनिया के रंगीन नज़ारे देखने के लिए
खुशियों में बहकना कभी अच्छा होता है
इश्क़ की गहराई को समझने के लिए
बेसबब वो रूठना कभी अच्छा होता है.
नवम्बर 25, 2008 at 12:48 अपराह्न (shayari)
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शिकायतों का बक्सा ले घूमते है वो लोग
दूसरों को ज़िम्मेवार कहते है वो लोग
खुद के घर का आँगन दमके और कूड़ा
गली के दरवाज़े पर रखते है वो लोग
सफेद कपड़ों में साफ़ सुथरे लगते देखो
मगर दिल–ओ–जहन से मैले है वो लोग
नवम्बर 14, 2008 at 12:15 अपराह्न (चैन - ओ -अमन)
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चैन – ओ –अमन नदारद हुए कई दिल से
सुकून की घड़ियाँ नसीब बड़ी मुश्किल से |
वो खुद को तो कहते है बंदे खुदा के रहीम
और देते मासूमो को जख्म जलते कील से |
नन्हे हाथों में बारूद – बंदूक थमा दी है
छिन किताब – बस्ता मदरसे में जमील से |
राह – ए – रहम – ओ – पैगाम हुआ रुखसत
सिखाते नोच खाना अपनो को गीदड़ चील से |
कब ख़ालसा होगा इनका या डरता है मौला
रहमत–ए–इंसानियत हो तेरी जादुई झील से |
अक्टूबर 8, 2008 at 4:35 पूर्वाह्न (shayari)
Tags: shayari, sher
हसते हसते हर बार कुछ अश्क़ निकल आते है
बस यही नही मालूम वो खुशी के थे या छुपे गम के |
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आरज़ू क अंबार लगे है दिल में हमारे इतने
कौनसी पूरी हो यही नही पता मुश्किल में खुदा भी |
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ना जाने हवाए कब रुख़ बदल दे अपना ज़िंदगी में कही और तुझसे
खुशी का हर लम्हा मिलता है जो पलछिन उसे संभाले रख लेना |
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तस्वीर के भी ना जाने कितने पहलू नज़र से छुपे छुपाए रह गये
इश्क़ में कतल कर हमारा ,वो इल्ज़ाम हमी पे लगाए चल दिए |