सागर किनारे तक आकर आलिंगन देती ल़हेरे
आते वक़्त भर भरके तुम्हारी यादे समेट लाती है
मेरे मन में उठते हुए हज़ारों ख़याली तूफ़ानो को
बहुत दूर कही तो अपने साथ वापस ले जाती है
गीली रेत पर तुम्हारा नाम प्यार से लिखते समय
तुम्हारे भीगे से स्पर्श का एहसास करा देती है
Dr Anurag said,
जुलाई 3, 2008 at 2:47 अपराह्न
.खूबसूरत अहसास को लफ्जों का जामा….
ranju said,
जुलाई 3, 2008 at 2:52 अपराह्न
गीली रेत पर तुम्हारा नाम प्यार से लिखते समय
तुम्हारे भीगे से स्पर्श का एहसास करा देती है
सुंदर लगी यह पंक्तियाँ
mahendra mishra said,
जुलाई 3, 2008 at 3:03 अपराह्न
मेरे मन में उठते हुए हज़ारों ख़याली तूफ़ानो को
बहुत दूर कही तो अपने साथ वापस ले जाती है
सुंदर
Rewa Smriti said,
जुलाई 3, 2008 at 3:21 अपराह्न
मेरे मन में उठते हुए हज़ारों ख़याली तूफ़ानो को
बहुत दूर कही तो अपने साथ वापस ले जाती है
Bahut sunder Mehek! ye lahren dur bahut dur wapas le jati hai…yeh bilkul sahi hai.
siddharth said,
जुलाई 3, 2008 at 3:59 अपराह्न
सच काफ़ी डूब कर लिखी गयी लगती हैं ये पंक्तियाँ… अति सुन्दर
manvinder bhimber said,
जुलाई 3, 2008 at 4:05 अपराह्न
सागर किनारे तक आकर आलिंगन देती ल़हेरे आते वक़्त भर भरके तुम्हारी यादे समेट लाती है मेरे मन में उठते हुए हज़ारों ख़याली तूफ़ानो को बहुत दूर कही तो अपने साथ वापस ले जाती है गीली रेत पर तुम्हारा नाम प्यार से लिखते समय तुम्हारे भीगे से स्पर्श का ए
behad khoobsurat hai.
Manvinder
Advocate Rashmi saurana said,
जुलाई 3, 2008 at 4:20 अपराह्न
bhut pyari paktiya. badhai ho. sundar ahasas ke sath likhi gai hai.
abrar ahmad said,
जुलाई 3, 2008 at 4:52 अपराह्न
जज्बातों को भीगो दिया आपने। बेहद उम्दा।
kmuskan said,
जुलाई 3, 2008 at 5:43 अपराह्न
jajbaaton me bheegi hui………..bahut khubsurat panktiya
meenakshi said,
जुलाई 3, 2008 at 7:59 अपराह्न
भीगे स्पर्श का एहसास …… कैसे बयान होगा… शब्द ही नही….बस खूबसूरत ख्याल का एहसास है….
समीर लाल said,
जुलाई 3, 2008 at 9:46 अपराह्न
बहुत सुन्दर-कम शब्दों में पूरे भाव. बढ़िया. बधाई.
Taeer said,
जुलाई 4, 2008 at 7:23 पूर्वाह्न
aapne kis format mein likhne ki koshish ki hain woh to nahi samaj paaya…par aap ki jo baat acchi lagi woh ye ki bilkul saaf baat likhte hain…
Annapurna said,
जुलाई 4, 2008 at 7:50 पूर्वाह्न
मानसून की पहली बारिश की सोंधी महक लिए है यह कविता !
parul said,
जुलाई 4, 2008 at 8:13 पूर्वाह्न
pyari paktiya.
pallavi said,
जुलाई 4, 2008 at 12:52 अपराह्न
bahut jazbaati rachna…beautiful.
mehek said,
जुलाई 5, 2008 at 7:01 पूर्वाह्न
aap sabhi ka tahe dil se shukran