बादलो का छत पे निवास हुआ
हमे सावन आने का आभास हुआ
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अचानक बादलो का घेरा और तूफ़ानी बूंदाबाँदी
तेज धूप पीकर सूरज मूर्छित पड़ा था क्षितिज पे
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कितनो की उमीदे बादलो पे सवार टहलती है
और बादल बरसता है किसी दूसरे के आँगन
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राज भाटिया said,
जनवरी 24, 2009 at 12:29 अपराह्न
बादलो का छत पे निवास हुआ
हमे सावन आने का आभास हुआ
बहुत ही सुंदर कविता, गहरे भाव लिये.
धन्यवाद
विनय said,
जनवरी 24, 2009 at 12:49 अपराह्न
बहुत बढ़िया!
—आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
rashmi prabha said,
जनवरी 24, 2009 at 1:24 अपराह्न
कितनो की उमीदे बादलो पे सवार टहलती है
और बादल बरसता है किसी दूसरे के आँगन……..
in panktiyon ne jaane kuch kah diya
विवेक सिंह said,
जनवरी 24, 2009 at 1:35 अपराह्न
क्या बात है !
कैसे आप कवि लोग ये सब सोचते हैं !
कमाल है जी !
Dr Anurag said,
जनवरी 24, 2009 at 1:45 अपराह्न
उमस भरी दोपहरी में
बादल का एक टुकडा
पड़ोसी की छत भिगो गया
अजीब बेवफाई है !
ranju said,
जनवरी 24, 2009 at 2:17 अपराह्न
कितनो की उमीदे बादलो पे सवार टहलती है
और बादल बरसता है किसी दूसरे के आँगन
बादलों ने भी बेवफा होने की रसम निभायी है 🙂 बहुत खूब
संगीता पुरी said,
जनवरी 24, 2009 at 2:50 अपराह्न
वसंत में सावन का अहसास….. बढिया है।
sameerlal said,
जनवरी 24, 2009 at 3:17 अपराह्न
बढ़िया साम्य है..
alpana said,
जनवरी 24, 2009 at 6:35 अपराह्न
अचानक बादलो का घेरा और तूफ़ानी बूंदाबाँदी
तेज धूप पीकर सूरज मूर्छित पड़ा था क्षितिज पे
वाह महक!.
छा गयीं आज इस बदली की तरह…बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं!
Digamber Naswa said,
जनवरी 25, 2009 at 9:07 पूर्वाह्न
बहुत खूबसूरत हैं ये शेर…………पहले मुझे एक अच्छा लगा, फ़िर दूसरा, फिट जब तीसरा पढा तो लगा किसी एकको कैसे अच्छा लिखू, बहुत खूब लिखा है…………..
गौतम राजरिशी said,
जनवरी 25, 2009 at 11:00 पूर्वाह्न
क्या खूब….पूरी गज़लें पढ़ने को मन उतावला हो गया है
कृपा करें
mohan said,
जनवरी 25, 2009 at 4:10 अपराह्न
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
ashutosh dubey said,
जनवरी 26, 2009 at 10:38 पूर्वाह्न
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं एवं बधाई.
R B Nanhoriya said,
फ़रवरी 7, 2009 at 10:35 पूर्वाह्न
Very good
ASHWANI R.DEV(LUCK) said,
फ़रवरी 20, 2009 at 11:09 पूर्वाह्न
main apni chat pe khadha tha
kale_ kale badlo se kehraha tha
lagta sawan ka aagaj hai..
gulon ki ‘mehak’ ka naya andaj hai
par aap yaha par mat barasna
apki boondo ka “mehak” ji ko intjar hai
hello mam, ‘dev ne’ badlo se aap ke liye duwa kar di hai
ab aap dekhna har boonde aap ke pass hai
ASHWANI R.DEV(LUCK) said,
फ़रवरी 20, 2009 at 11:16 पूर्वाह्न
badlo ki boonde jhankati hai jamin pe
lagta unhe kisi ka intjar hai
koi mehak un tak pahuch gayi hai
tabhi to aaj inka badla andaj hai
dev ki duwa ka boondo ko khayal hai
bas hame mehak ji ke jawab ka intjar hai..
ASHWANI R.DEV(LUCK) said,
फ़रवरी 20, 2009 at 11:23 पूर्वाह्न
he,
mam mujhe shukriya email id pe nahi
hamesha aapke blog mein hi chahiye
thank’s