रात के टीले पर चढ़कर

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रात के टीले पर  चढ़कर

चाँदनी की रेत पर चलकर

आसमानी सागर पार करने के बाद

रौशनाई  नज़र आएगी

चंदेरी पारियाँ झूल रही होंगी

वही बड़े बगीचे में

वो हमारा इंतज़ार  कर रहा होगा

शीतल चाँद मिलन में  जल रहा होगा

 

11 टिप्पणियां

  1. विनय said,

    फ़रवरी 10, 2009 at 2:20 अपराह्न

    बहुत ख़ूब, सुन्दर प्रस्तुति

    ——
    गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम

  2. फ़रवरी 10, 2009 at 8:32 अपराह्न

    बहुत सुंदर खाव्ह, सुंदर कविता.
    धन्यवाद

  3. फ़रवरी 11, 2009 at 6:24 पूर्वाह्न

    आसमानी सागर पार करने के बाद
    रौशनाई नज़र आएगी
    चंदेरी पारियाँ झूल रही होंगी
    वही बड़े बगीचे में
    वो हमारा इंतज़ार कर रहा होगा
    गहरे एहसास में डूबी नज़्म, बेहद उम्दा …….उतना ही खूबसूरत चित्र नज्म के साथ नज्म की भावनाओं में उतरता

  4. rashmi prabha said,

    फ़रवरी 11, 2009 at 6:55 पूर्वाह्न

    nazm ko saundarya se bhar diya…….

  5. Dr Anurag said,

    फ़रवरी 11, 2009 at 7:08 पूर्वाह्न

    भावनाओ से ओत प्रोत सुंदर कविता

  6. alpana said,

    फ़रवरी 11, 2009 at 7:34 पूर्वाह्न

    wah bahut khuub kalpana hai…pariyan..baageecha..

    Aur..milan…ko dekh kar..chaand bhi jalne lagta hai..apni shitalta kho kar..
    sundar rachna Mahak..

  7. preeti tailor said,

    फ़रवरी 11, 2009 at 10:34 पूर्वाह्न

    chand labzoki bahar thi gulshan khila gayi ye kavita

  8. Rohit Jain said,

    फ़रवरी 11, 2009 at 2:25 अपराह्न

    bahut sundar

  9. फ़रवरी 11, 2009 at 6:24 अपराह्न

    क्या खूब “शीतल चाँद मिलन में जल रहा होगा”….वाह

  10. Rewa Smriti said,

    फ़रवरी 12, 2009 at 3:10 अपराह्न

    वो हमारा इंतज़ार कर रहा होगा
    शीतल चाँद मिलन में जल रहा होगा

    Beautiful!

    वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ….?

  11. Poonam said,

    फ़रवरी 12, 2009 at 5:53 अपराह्न

    Mehek ji ,
    bahut sundar bhavpoorna rachna .badhai


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