अप्रैल 26, 2018 at 4:09 पूर्वाह्न (Uncategorized)
Tags: hindi poem, ishq
Behek gaya mann , tera kesariya rang
jhulti hun main, teri har dali sang
chanchal teri adayein,
grishm mein phool barsaye
teri bhi aadat mujh jaisi
manbhavan ko rijhaye
jab kabhi wo ruth jaye.
phir phoolon sa uska muskurana
aur pyar se ruksat hona
kal milne ka wada dekar
mere galon par uske labon ka ruk jana
lehera ke tera khilkhilana
meri dhadkano ka tez hona
un natkhat yaadon ko sametne
gulmohar phir aayi hun
dobara wo lamhein jeene
apna dil sang layi hun….
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अप्रैल 5, 2010 at 6:04 अपराह्न (Uncategorized)
Tags: hakim, hindi poem, kavita, mehek, neem, zindagi
चाहत है एक दिन अमीर बनू
सौ गुन वाला कड़वा नीम बनू |
ज़िंदगी का गहरा भंवर देखा
मोह से अनजान फकीर बनू |
दर्द बहुत दिए अपनो को
मरहम लगाता हकीम बनू |
झूठे आसुओं से लुटा जहाँ
मन को संभाले वो नीर बनू |
कर्ज़ कितना चढ़ा मिट्टी का
मर के भी अमर शहीद बनू |
भंवरों सी फूलों में छुपी ‘महक’
कंवल से खिला झील बनू |
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मार्च 1, 2009 at 4:24 अपराह्न (kabhi to aisa ho, Uncategorized)
Tags: hindi poem, kavita

कभी तो ऐसा हो
नींद पलकों में सिमट जाते ही
ख्वाबों में तुम आ जाओ
हम कुछ कहने से पहले ही
मोहोब्बत की शमा जलाओ
कभी तो ऐसा हो
शाम अपने सिंगार खड़ी
टहल रही हो छत पे
हम आह्ट पहचाने तब तक
तुम देहलीज़ पार भीतर आओ
कभी तो ऐसा हो
खनके कंगन ,छुम छुम भागती पायल
जल्दी से काम निबटाये
एक दिन छुट्टी तुम भी लेलो
कोई रंगीन शरारत सिखलाओ ….
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अक्टूबर 13, 2008 at 1:15 अपराह्न (Uncategorized)
Tags: hindi poem, kavita
सुना है कल तुम चले जाओगे
ना जाने फिर कब लौट आओगे
जब भी चलेंगी ये मस्त हवाए
हमे तुम याद बहुत आओगे
अश्को को हमने छिपा दिया है
जुदाई पर भी तुम मुस्कुराओगे
एक ही गहरा सदमा काफ़ी है
हमे तुम और कितना सताओगे
वादा अब ये हमारा भी रहा
हम भी तेरे साथ ही रहेंगे
जिस अंजुमन तुम कदम रखोगे
वहा हम फूल बनकर खिलेंगे
जिस राह भी तुम जाओगे
सब हमे ही तेरी मंज़िल कहेंगे
तेरे दिल को अपना घर बनाया
तुम हमे यू ना भुला पाओगे
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अक्टूबर 6, 2008 at 12:39 अपराह्न (Uncategorized)
Tags: hindi poem, kavita
पगले से मन को कौन समझाए
नील गगन में उँचा उड़ जाए
हमे छोड़ अकेला विहार करता
शायद तब थोड़ा सहमता डरता
वापसी की मन को राह दिखलाने
नभ आज आए हमारे द्वार |
कह कर भी वो ना सुने किसी की
हरपल विचारधारा रखे खुद की
कितना भी उसे जकड़ना चाहूं
मगर वो भागता ,यूही घूमता
वापसी की मन को राह दिखलाने
नभ आज आए हमारे द्वार |
नही समझता वो जग की रीत
मिलकर रहना यही है प्रीत
अकेला वो खुद में ही रमता
गगन की फाहो में छिप जाता
वापसी की मन को राह दिखलाने
नभ आज आए हमारे द्वार |
hamari khud ki ek marathi kavita ” nabh aaj dari ale” ka anuwad karne ki koshish ki hai,phew,bahut mushkil tha ek bhasha se dusri bhasha mein arth sahit anuwad karna:)
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सितम्बर 27, 2008 at 3:13 अपराह्न (Uncategorized)
Tags: hindi poem, kavita, nanak, rahim, ram
बचपन के वो दिन थे कितने सुहाने
कुछ भी कीमत दूं वापस कभी ना आने
कितनी अजब गजब थी वो छोटी सी दुनिया
हक़ीक़त में जहा उड़कर आती परीयाँ
देवगन सारे अच्छे ,बुरे थे सारे दानव
बर्फ की होती राजकुमारी,साथ बूटे मानव
सात समंदर पार से राजकुमार आता
सफेद घोड़े पर बैठ राजकुमारी ले जाता
शाम को सारे बच्चे कहते नानी –२
राजारानी से शुरू और उन्ही पे ख़तम कहानी
दीप जलते ही वो दीपम करोती सुनाती
कहानी के साथ कुछ अच्छी बाते सिखाती
बुरा कभी ना सोच किसिका,सदा बनो नेक
राम रहिम येशू नानक सारे ये है एक
जो भी खुद के पास है बाट कर खाना
कभी ख्वाब में भी किसी का दिल नही दुखाना
ये सारे अच्छे बोल नानी बार बार दोहराई
एक बात वो हमे गाठ बाँधकर समझाई
राम कहत रघुकुल रीति सदा चली आई
चाहे प्राण जाए पर वचन ना जाई
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सितम्बर 26, 2008 at 1:49 अपराह्न (मयूर पंख)
Tags: hindi poem, ishq, kavita, love, mayur pankh, mehek, mehhekk, par

कैसे सुनाउ तुम्हे हाल–ए–दिल
मैं ज़रा सी घबराई हूँ
तुम जो खफा हो अचानक
मैं ज़रा सी कतराई हूँ |
जज़्बात मेरे मचल रहे है
कैसे बयाँ करूँ मैं इनको
तुम्हे जो मैं भेज रही हूँ
कैसे सज़ाउ उस खत को |
कुछ अपने लहू से लिख दूं
या फिर अश्को के मोती रख दूं
मन इतना उलझ गया है
या फिर कोरी पाती भेज दूं |
सूरज की किरानो से लिख दूं
या चाँद की रौशनी छिड़क दूं
मन को कोई खबर नही
या तारों की चुन्नर जोड़ दूं |
अपने प्यार की नीव है गहरी
जैसे कोहरे में धूप सुनहरी
इश्क़ की बदरी को बरसाने
अब मयूर पंख मैं लाई हूँ |
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सितम्बर 13, 2008 at 4:23 अपराह्न (shayari)
Tags: hindi poem, shayari, sher
कुछ जज़्बात , कुछ भावनाये ,
क्यूँ आती है उमड़ कर
हौलेसे बिन बुलाए मेहमान की तरह रूक जाती है
कभी कुछ कहती है , कभी यूही खामोशी से रहती है
एक ल़हेर सी उछल जाती है ,कभी तरंग बन थिरकती है
कभी दिल के कोने में छुपी हुई पाती हूँ उन्हे
कभी खुल खुलकर बरसती है बेईमान हो हमसे
सब के सामने आकर बहती है ,हमे भी भिगो देती है
कई बार रुसवा कर देती है , कभी हथेली पर
छोड़ जाती है खुशी के दो मोती
हर रूप में उनके , हमे बहा कर ले जाती है……….
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सितम्बर 7, 2008 at 3:05 अपराह्न (shayari)
Tags: hindi poem, kavita, shayari, sher

दिल की राह पर चलते हुए
अक्सर कुछ अनकहे मोड़ आते है
राह वही पर मंज़िले बदल जाती है
कुछ पल अकेले ,कुछ पल तन्हा भी सुकून देते है
अगले मोड़ कोई और जुड़ जाता है , चुपके से
पता भी नही चलता , कब मंज़िल आती है
हर बरसे बादल के साथ क्या सब धूल जाता है?
यादों की लकीरें भी मिट जाती है?
शायद नही , शायद हा, कही बंद ज़रूर होती है
राह आसान तो नही कोई , ठोकर किसी वक़्त लगती है
मुश्किल ना हो तो खुशियों की एहमियात नही रहती
सब भीग जाने के बाद , जो आशाओं की बूंदे गिरती है
किस्मत उन्हे उमीद कहती है
यकीन था हमे , वो टुकड़े ख्वाबों को फिर सिलती है
गिरने दो उन बूँदों को खुद पर, तब महसूस करना
रौशन–ए–सोनम दिल से फिर जुड़ती है…..
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जुलाई 6, 2008 at 4:52 पूर्वाह्न (shayari)
Tags: Blogroll, hindi poem, kavita, mehek, mohobbat, shayari, sher

मोहोब्बत की वादियों में
तेरे साथ चलते हुए सफ़र आसान है
सोचती हूँ हम दोनो दिल से जुड़े
अलग पहचान कहा हमारी
ना जाने अचानक तुम
कहा गुम होते हो
हमारे साथ होकर भी तन्हाई
खोजते हो ……..ऐसा क्यों .? हमे बताओगे
इसका जवाब दे पाओगे ….
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