जून 24, 2008 at 9:36 पूर्वाह्न (shayari)
Tags: dard, dhoop, duniya, hasna, hindi poem, jigar, kavita, khushi, mehek, mehhekk, muskan, shayari, sher
दुनिया की भीड़ में खुद को ढालना ज़रूरी होता है
दो पल बैठ किनारे कभी खुद से मिलना ज़रूरी होता है |
दर्द–ए–धूप में जिगर जलते हुए हसना ज़रूरी होता है
जज़्बातों की बाढ़ बह जाए दिल से तब रोना ज़रूरी होता है |
उमर–ओ–राह –ए–कदम में हमसफ़र होना ज़रूरी होता है
यहा सब को कुछ पाने के लिए कुछ खोना ज़रूरी होता है |
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अप्रैल 9, 2008 at 6:12 पूर्वाह्न (ऐसी हर सहर जिए)
Tags: geet, gulab, hindi poem, jigar, kavita, majzid, mandir, mehek, mehhekk, mohobbat, naseeb, nazar, nazm, pyar, safar, sahar, shayari, sher, subhah, tohfa
ऐसी हर सहर कीजिए
नींद खुले देखूं तुम्हे ऐसी हर सहर कीजिए
दिल में छुपाए कुछ राज़ हमे खबर कीजिए |
पैगाम–ए–मोहोब्बत भेजा है खत में नाज़निन
कबुल हो गर तोहफा–ए–इश्क़ हमसे नज़र कीजिए |
खुशियाँ बाटने यहा चले आएँगे अनजान भी
किसी के गम में शरीक अपना भी जिगर कीजिए |
आसान राहों से जो हासिल वो भी कोई मंज़िल हुई
खुद को बुलंद करने तय मुश्किल सफ़र कीजिए |
दुश्मन–ओ–जहाँ के तोड़ रहे है मंदिर मज़्ज़िद
अपने गुनाहो की माफिए–ए–अर्ज़ अब किधर कीजिए |
लहू के रिश्तों से भी मिले अब फरेब ओ– खंजर
परायों से अपनापन नसीब वही बसर कीजिए |
ज़मीन समेट्ले बूँदो से वो बादल है प्यासा
आसमान झुके पाने जिसे प्यार इस कदर कीजिए |
गुलाब से सजाए लम्हे भी मुरझाएंगे कभी
यादों में उनकी “महक”रहे ऐसा असर कीजिए |
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जनवरी 14, 2008 at 6:26 पूर्वाह्न (तकदीर के फ़ैसले)
Tags: ankahe, तकदीर के फ़ैसले, Blogroll, faisle, gazal, ghazal, hindi poem, ishq, jaam, jahar, jakhm, jigar, kavita, kismat, lamhe, mehek, mehhekk, mohobaat, nagme, nazm, pyar, shayari, sher, takdir, zindagi
तकदीर ने कुछ अनकहे फ़ैसले सुनाए
कबुल कर उन्हे सराखों पर लिये है |
ये दर्द छलक कही नासूर ना बन जाए
जख्म इस टूटे जिगर के सारे सिये है |
ये सोचकर कही प्यासे ना मर जाए
जाम जहर के हमने हंस कर पिये है |
जुदा होकर भी ,तेरी खुशिया ही चाही
दुनिया की रस्मे रिवाज़ अदा किये है |
तुमने मोहोब्बत से कुछ पल ही चुराए
ज़िंदगी के पूरे लम्हे उसे हमने दिए है |
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