dil

दिल

कितने मुझमे राज़ छुपे हे
कितनी तेरी खट्टी मीठी बाते
तेरे मन की बात में जान पाउ
जियु तेरे संग सुनहरी यादें
दिन रात लगाकर अपनी जान
जीवित रखे हे तेरे प्राण
इधर उधर क्यूँ ढूँढे तेरी नज़्ररे
में तेरा अपना दिल और धड़कन
आरज़ू हे इतनी,के अभी फुर्सत में
तू भी सुन मेरा गीत,मेरा स्पंदन