फूलों से रंग और महकती मधु बूंदे
हर सुबह नज़रों से बिन भूले पिये जा |
फिर भंवरे के जैसी मीठी गुंजन करते
जीवन बगिया में मद मस्त जिये जा |
कुदरत की सुनहरी धूप और गरमाहट
हमेशा ,हर कदम पे महसूस किये जा |
जो प्यार इस धरा से तुम्हे नसीब हुआ
उसके कुछ अंश हर दिल को दिये जा |
ये सारी प्रक्रुति जब प्यार से चहकेगी
जाते हुए उसकी दुआ तू संग लिये जा |
फूलों से रंग और महकती मधु बूंदे
जनवरी 14, 2008 at 7:05 पूर्वाह्न (फूलों के बिस्तर)
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फूलों के बिस्तर उन्हे रास नही आया करते |
जनवरी 10, 2008 at 9:31 पूर्वाह्न (फूलों के बिस्तर)
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काटो से भरी राहे चुनकर जो चलते है अक्सर
फूलों के बिस्तर उन्हे रास नही आया करते |
इश्क़ की मुश्किल डगर जो थाम लेते एकबार
तूफ़ानो से डरकार वो वापस नही जाया करते |
जीवन की गहराई में जो सत्य रौशन कराए
झूठ के अंधेरो में वो कभी नही सोया करते |
खुदा की खुदाई पर जो जहन में भरोसा रखे
छोटिसी ठोकर से वो शक्स नही रोया करते |
रूह से रूह का रिश्ता जो जुड़ जाए कसम से
चाहे जनम बदल जाए वो टूट नही पाया करते |
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