नन्हे से दीपक में सजाई बाती
रौशनी चारों तरफ,निखरी हुई ज्योति
हर पल तप तप कर तुम हो जाना प्रखर
दीप तुम जलते रहना यूही निरंतर |
अंधेरी गलियों में जो हम भटक जाए
तेरे उजियारे से मन की प्रज्वलित हो आशायें
मुश्किलें आए तो साथ निभाना शाम–ओ–सहर
दीप तुम जलते रहना यूही निरंतर |
तूफानो के काफ़िले आएंगे गुजर जाएंगे
कोशिश होगी तुम बुझ जाओ,चुभेंगी हवायें
विश्वास के बल पर तय हो जीवन का सफर
दीप तुम जलते रहना यूही निरंतर |
अपने लौ को सदैव मध्यम ही जलने दो
प्रकाश पर खुद के कभी घमंड न हो
प्रेरणा बनो सबकी, दिखाना राह–ए–नज़र
दीप तुम जलते रहना यूही निरंतर |
दीप तुम जलते रहना यूही निरंतर
मार्च 11, 2008 at 10:20 पूर्वाह्न (दीप तुम जलते रहना)
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