मार्च 21, 2008 at 2:46 अपराह्न (होली)
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आयो होली को त्योहार
बिखरी फागुन की बहार
मनवा झूमे हमार
चढ़ता मस्ती का खुमार
ढोल मंजीरे ढ़म ढ़म
पैंजनियों की छम छम
पाव खुदई लेत थिरकन
नब्ज़ नब्ज़ बढ़े धड़कन
होली होय हर आँगना मा शोर
उमड़ा जोश से चारों और
सात रंगो की बौछार
अंबर सज गयो अबीर गुलाल
मदहोस नाचत फाग
म्हारा जिया लगायो आग
अब के हमका भी खेलन की होरी
सैय्या जी से करें की जोराज़ोरी
छिपयके उका रंग मा है रंगाना
लागत के ये होये की अब ना
के हम आ गये पिहड़
ढोलना रह गयो ससुराल
ye niche wali panktiyan mirabai ki rachana hai.
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
ऐसी रंग दे के रंग नाही छूटे
धोबिया धोए ये चाहे सारी उमरिया
लाल न रंगाउँ मैं,हरी न रंगाउँ मैं
अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया
बिना रंगाये मैं तो घर नही जाउंगी
बीत ही जाए चाहे ये सारी उमरिया |
–मीराबाई
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मार्च 21, 2008 at 2:31 अपराह्न (होली)
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होली
//1//
मन में घुली मीठी गुझिया सी बोली हो
प्यार के रंग लगाओ दुश्मन या सहेली हो |
गुबार वो बरसों से पलते रहे है दिल में
नफ़रत पिघलाती मिलन सार ये होली हो |
गुस्ताखियों के अरमानो की लगती है कतारें
हर धड़कन की तमन्ना उसका कोई हमजोली हो |
जज़्बातों की ल़हेरें ऐसी उठाता है समंदर
दादी शरमाये इस कदर जैसे दुल्हन नवेली हो |
मुबारक बात दिल से अब कह भी दो “महक”
आप सब के लिए होली यादगार अलबेली हो |
//2//
छाई खुशियों की बौछार
के आई है होरी
मीठी गुझिया,मीठा मोरा सैय्यादोनो पे टिकी होये
इस दिन नज़र हमारी
बड़ी स्वादिष्ट सी गुझिया
हाय,खाने को जियरा ललचाय
लागे एक ही बारी में
स्वाहा करूँ सारी
छुपाय के सबसे खाना पड़त है
देखे कोई ई न कह दे
बहुरिया घर की,सब से चटोरी.
देख सलोना भोला सैय्या
गोरियों का दिल मचल जाय
नटखट सखियाँ धोखे से
सजनवा को भंग पीलाय
जानत मस्ती,पर मन घबराए
कोई मोरे सैययांजी की
कर ले ना चोरी.
भूल,ख़ता माफ़,मन की स्लेट कोरी
रंगों से सजी हो सब जन की होरी.
-महक
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