वादा नही कर रही हूँ कोई तुमसे
क्यूंकी वादों की उमर बड़ी छोटी होती है
टूटने की खनक भी सुनाई नही देती
सारे सपने भी संग ले जाती है
चाहत का इरादा बाँध लाई हूँ
दिल में तुम्हारे लिए
ईरादों की डोर बड़ी पक्की होती है |
कसम नही लूँगी कोई तुमसे ना ही दूँगी
क्यूंकी इश्क़ तो घुल गया फ़िज़ा में
कितने समय तक निभा पाउँगी
कोई हिसाब नही दे सकती
हर कदम साथ रखेंगे इस ज़मीन पर
ये रस्म निभाउँगी तुम्हारे लिए
रस्मो से रिश्ते का एहसास होता है |
कीमती तोहफे नही ला पाई कभी
क्यूंकी किम्मत से दिल नही खरीदे जाते
मुरादें गर वक़्त पर पूरी ना हो
दरमियाँ के फ़ासाले फिर भर नही पाते
एक गुलाब देने की हैसियत रखती हूँ
महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है |
Pankaj said,
अक्टूबर 5, 2009 at 5:46 पूर्वाह्न
दिल में तुम्हारे लिए,
प्यार की अच्छी प्रस्तुति
ranju said,
अक्टूबर 5, 2009 at 5:56 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर एक गुलाब ही बहुत है प्यार से दिया हुआ ..सुन्दर लगी यह रचना आपकी महक
ताऊ रामपुरिया said,
अक्टूबर 5, 2009 at 7:04 पूर्वाह्न
बहुत सुंदर रचना.
रामराम.
kshama said,
अक्टूबर 5, 2009 at 7:27 पूर्वाह्न
kitna sach hai..wadon kee umr chhotee hotee hai…wishwas unheen ka karna chahiye jo waden na karen, lekin sheh ke saath apna pyar den, bina kahe, jab zaroorat ho saath den..
Mahfooz said,
अक्टूबर 5, 2009 at 7:55 पूर्वाह्न
कीमती तोहफे नही ला पाई कभी
क्यूंकी किम्मत से दिल नही खरीदे जाते
मुरादें गर वक़्त पर पूरी ना हो
दरमियाँ के फ़ासाले फिर भर नही पाते
एक गुलाब देने की हैसियत रखती हूँ
महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है |
OMG!!!!!!!!! kya likha hai aapne…..महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है | waah!!!!!!!
bahut hi dil se likha hai aapne isey…….
om arya said,
अक्टूबर 5, 2009 at 8:14 पूर्वाह्न
एक बेहद कोमल एहसासो की रचना ………………..जिसे पढ्कर खुशबू बिखर गई भूले बिसरे यादो की…………..बधाई!
वन्दना अवस्थी दुबे said,
अक्टूबर 5, 2009 at 9:25 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर गीत. सुन्दर भाव.
rashmi prabha said,
अक्टूबर 5, 2009 at 9:46 पूर्वाह्न
वादा नही कर रही हूँ कोई तुमसे
क्यूंकी वादों की उमर बड़ी छोटी होती है
टूटने की खनक भी सुनाई नही देती
सारे सपने भी संग ले जाती है…….sahi bilkul sahi
seema gupta said,
अक्टूबर 5, 2009 at 12:00 अपराह्न
कितने समय तक निभा पाउँगी
कोई हिसाब नही दे सकती
” truely picturised, emotional creativity…”
regards
DIVYA said,
अक्टूबर 5, 2009 at 1:57 अपराह्न
BEAUTIFUL CREATION MEHAK…
I LOVED IT
DIVYA
समीर लाल said,
अक्टूबर 6, 2009 at 12:42 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दरता से गढ़ा है इस रचना को.
Manoj Salwani said,
अक्टूबर 6, 2009 at 7:07 पूर्वाह्न
क्या गहराई है एक बार फिर से मुहब्त करने को जी चाहता है.
आज ये पढ़ कर दिल मेरा यही कहता है की आज भी कोई है जो इतना किसी से पयार करता है
महक आपने इतना अछा लिखा है और मे दुआ करता हूँ की आप हमेशा ऐसे ही खुशबु की तरह महकती रहो
vijay kumar said,
अक्टूबर 6, 2009 at 7:15 पूर्वाह्न
are what happend , i submitted the comment . ?
vijay kumar said,
अक्टूबर 6, 2009 at 7:19 पूर्वाह्न
mahek ji
namaskar , bahut acchi rachna , dil ko chooti hui . aur shabdo ka istemaal itna gahraayi liye hue hai ki main nishabd hoon kahin kahin par.. specially ..
वादा नही कर रही हूँ कोई तुमसे
क्यूंकी वादों की उमर बड़ी छोटी होती है
aur
महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है |
amazing creation, mala faar awadla ..khoop chaan rachan aahe ..
aapka dhanywad.
regards
vijay
http://www.poemsofvijay.blogspot.com
mehhekk said,
अक्टूबर 6, 2009 at 2:18 अपराह्न
kadhi tari chukun spam madhe jate comment,tasech jhale hote,hanyawad.
vijay kumar said,
अक्टूबर 6, 2009 at 7:21 पूर्वाह्न
mahek ji
namaskar , bahut acchi rachna , dil ko chooti hui . aur shabdo ka istemaal itna gahraayi liye hue hai ki main nishabd hoon kahin kahin par.. specially ..
वादा नही कर रही हूँ कोई तुमसे
क्यूंकी वादों की उमर बड़ी छोटी होती है
aur
महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है |
amazing creation, mala faar awadla ..khoop chaan rachan aahe ..
aapka dhanywad.
regards
vijay
http://www.poemsofvijay.blogspot.com
preeti tailor said,
अक्टूबर 6, 2009 at 9:24 पूर्वाह्न
sachche pyar ki paribhasha vyakt hai …aur pardarshi dil bhi …
Ketan said,
अक्टूबर 6, 2009 at 4:16 अपराह्न
कीमती तोहफे नही ला पाई कभी
क्यूंकी किम्मत से दिल नही खरीदे जाते
मुरादें गर वक़्त पर पूरी ना हो
दरमियाँ के फ़ासाले फिर भर नही पाते
एक गुलाब देने की हैसियत रखती हूँ
महक जिसकी सिर्फ़ तुम्हारे लिए
जो यादों में बस कर सदा पास रहती है |
kya baat hai.. bhai waah…
Alpana said,
अक्टूबर 7, 2009 at 5:11 पूर्वाह्न
कितने समय तक निभा पाउँगी
कोई हिसाब नही दे सकती
हर कदम साथ रखेंगे इस ज़मीन पर
ये रस्म निभाउँगी तुम्हारे लिए
रस्मो से रिश्ते का एहसास होता है |
bahut sundar!
-Is kavita mein Kitne khubsurat khyal hain..nazuuk ahsaas hain Mahak!
aise hi sundar likhti raheeye!