जून 10, 2010 at 10:51 पूर्वाह्न (Uncategorized)
Tags: baarish, boond, tasvir
बूंदो की खनक में
ढूँढती हूँ अक्सर
वो छुपा हुआ अक्स तेरा
तुम भी जब खिलखिलाते
जैसे छम छम बूंदे
बजती थी |
बरसात की बूंदे
हथेली पर् लेकर
एक कोशिश करती हूँ
उन्हे छुपाने की
ताकि बहते पानी संग
तुम भी न बह जाओ |
बूँद में तुम्हे देखना
खयाल अच्छा लगता है
जितनी बूंदे होती है
तेरी उतनी ही तस्वीरे |
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जून 3, 2010 at 6:23 अपराह्न (Uncategorized)
Tags: baarish, barsaat, rain
आधी रात
सितारों की बारात
मेघ बने घोड़े
बदरा आए दौड़े दौड़े
बिजली की थिरकन
हवाओ में कंपन
कही अपने आप बजते
बासुरी के स्वर
कही यूही गुनगुनाते
हौले से अधर
अनगिनत अरमान बाहों में
कितने ही मोती खयालो में
छम छम सी बूंदाबांदी
बिखरे दिल की ख्वाहिश
भीगे हुए से हज़ारों
ख्वाबों की आजमाइश
पहले से तय होता
ये हमने माना
पर् हर बार नया सा लगता
बारिश तेरा आना…..
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जुलाई 17, 2009 at 5:40 अपराह्न (shayari)
Tags: baarish, indradhanu, ishq, meet, mehek, sawaan
मेघा आज फिर टुटके बरसे तुम मीत से
माटी से ‘महक’ ऊठी , इश्क में सराबोर निकली |
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ये क्या हुआ ‘महक’, दीवानगी की सारी हदे पार कर ली
सावन में बरसी हर बूँद तुने,अपने अंजुरी में भर ली |
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मौसम खुशनुमा , फ़िज़ायें भी ‘महक’ रही
तेरा नाम क्या लिया, फूलों की बरसात हुई |
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सावन की फुहार से ’महक’ बावरी हुई
बूंदो के झुमके पहन भीग रही छत पे |
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बारिश की लड़ी से नव पल्लवित रैना
इंद्रधनु के रंग उतरे ‘महक’ के नैना |
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जुलाई 9, 2009 at 9:37 अपराह्न (kavita)
Tags: baadal, baarish, barsaat, dopahar, hariyali, man, sawan
उमस भरी दोपहरी में
गर्मी की चादर ओढ़े धूप टहल रही थी
वो बादल का टुकड़ा आया
झाक के देखा उसने, आँखों के सूखे मोती
दौड़ा भागा , कुछ आवाज़ लगाई
लू से भारी हवा ठंडक बन लहराई
छाव का शामियाना धरा पर सज़ा
हज़ारों बादलों का जमघट जो लगा
टापुर टापुर बूंदे बड़ी बड़ी झूमको सी
राह पर गिरती , माटी से मिलती
खिड़की खुलने से पहले ही
नयनो के रास्ते मन बाहर था
आवारा बरसातो में भीगता
धूल गया पूरा के पूरा
चमकता नयी कोरी स्लेट सा
नयी हरियाली के उगम में
खुद को समेटता……….
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अप्रैल 14, 2009 at 6:24 पूर्वाह्न (kavita)
Tags: baarish, ishq, mohobbat, phool, pyar, titli
इन फूलों की बारिश में
भीग लेते है हम भी
मोहोब्बत के इत्र की महक
जरा बदन पर चढा लूँ
अगले मौसम तक फिर
ये ताजगी रहेगी मन में .
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रिझाने प्रियतम फूल को,गुनगुनाया,बहलाया
खिली हर पाखी जब नाजुक प्रेम स्पर्श सहलाया
जज्बातों में बह के अपना मधुरस दे बैठा
मेरी मन तितली तो बस खुशबु की दीवानी है |
ye chitra humne kisi ke blog se liya hai,blog ka naam yaad nahi,unka shukran.
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जून 21, 2008 at 2:51 अपराह्न (शाम सुहानी सी)
Tags: andhi, baarish, baat, Blogroll, boonde, dil, hindi poem, ishq, kavita, khamoshi, mehek, mehhekk, pyar, raaz, rabba, shaam, shayari, sher, suhani, zindagi
शाम सुहानी सी
धूप की चादर को हटाकर बिखर गये नीले स्याह से बादल
गरजत बरसात बूँदों का आना ,गालों पर सरका आँख का काजल |
ठंडी हवाओं का नज़दीक से गुज़रना नस नस में दौड़ती सहर
आँधियों का हमे अपने आगोश में लेना दिल में उठता कहेर |
उसी राह से हुआ तेरा आगमन ,एक छाते में चलने का निमंत्रण
नज़दीकियों में खिला खिला मन फिर भी था खामोशी का अंतर |
यूही राह पर कदम चले संग तुम्हारे कभी ना आए वो मंज़िल
बड़ी अजीब सी चाहत ,ख्वाब होते गजब के जो इश्क़ में डूबा हो दिल |
दरवाज़े तक तेरा हमे छोड़ना और मुस्कान में कुछ कोशीशन कहेना
समझ गया दिल वो अनकहे अल्फ़ाज़ और चलते हुए तेरा तोडसा रुकना |
हमनशी कह दू राज़ की बात ,ज़िंदगी की सब से थी वो शाम सुहानी सी
रब्बा शुक्रान में जीतने सजदे करूँ कम है उस वक़्त तूने दुआ कबुल की |
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अप्रैल 18, 2008 at 5:29 अपराह्न (बादल मितवा)
Tags: baadal, baarish, Blogroll, bunde, geet, hindi poem, kavita, love, mehek, mehhekk, mitawa, mohobbat, nagme, nazm, pyar, shayari, sher, vasta
राह देखे मन प्रतिपल हर क्षण
ढूँढे तुझे मेरा बिखरा कन कन
नही सुने जाते जमाने के ताने
उस पर न आने के तेरे लाख बहाने
आँखें है बंजर ,कैसे नीर बहाए
सुलगती किरने आकर तनमन जलाए
तुझसे मिलने करूँ सागर का मंथन
धरा हूँ , मुझे है उड़ने का बंधन
ब्रम्हांड में पूरे तेरा है विस्तार
मुक्त अकेला ही करता है विहार
सुन रहे हो क्रंदन मत सता रे
कुछ लम्हो की साँसे अब तो आरे
मोहोब्बत का वास्ता तुझे धड़कन पुकारे
बादल मितवा प्यार की बूंदे बरसा रे.
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